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कभी अपने लिए [Never for Yourself]

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कभी अपने लिए [Never for Yourself]

By: Poonam Ahmed
Narrated by: सरिता भारद्वाज
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मझ बचपन स आज तक एक ह शक रह ह पढन और बस पढन, पढत-पढत ह कब लखन भ लग, पत ह नह चल लखन क सलसल शर हत ह आसपस क पतर ह मर इरद-गरद मडरन लग कई भ घटन,पतर य वचर आत ह डयर क पनन क सथ सथ मन क पनन पर भ लख जत गय मन क भव धर धर अकषर क आकर लन लग, ऑबजरवशन स ह कहनय बनन लग दस तरह क लग स ज दस बत सनत ह, वह एक कलपनक पतर क मह स उगलव लत ह यह कतब छट कहनय क एक छट स ससर ह, जह हर सभ क अपन जवन क एक अश सस लत मल जयगम बहत आम स गहण ह, मर पस रजनतक, समजक,धरमक य कई आरथक परभमडल नह ह, बस, थड स शबद ह, शबद ह मर सहस, मर खश, मर सपन, समरथय ह, यह शबद शबद जडकर मर कहन बन जत ह लखन क मधयम स लग क दल क छन मझ भत ह, लखन म मझ एक अलग ह आनद आत ह कछ पतरकओ स बसट सटर क परसकर भ मल, अब तक करब चर स कहनय, कई लख लख चक हभष क ममल म मर सच शर स ह एक जस ह, भष ऐस ह ज पठक क सध कहन क सथ जड द, बच म रकवट न बन खड ह सरल भष लखन मशकल कम हत ह इस दश म मन हमश कशश क ह मर कहनय क पतर मर सथ बठ हत ह,म उनह लखत हए महसस करत ह, उनक कहनय लखत-लखत कभ हस दत ह, कभ र भ पडत ह इस सकलन क कहन, कब जओग परय, लखत-लखत बहत हस भ ह कयक मर पत भ टर पर जत रहत हमन क नई ईयर परट म खद क ‘बड’ बनकर लखन म मझ बहत आनद आय, बच क दवर म कतन ह बर आख पछ, कहन 'आज क लड़क ' क खशब कई कलपनक पतर नह ह यह बहत करब लड़क खशब जसक कहन स म इतन परभवत हई क मन खशब क नम भ नह बदल, इसक कहन जय क तय पनन पर उतरत चल गय मर कहनय पठक क मन क छ जए त म अपन लखन क सरथक समझग

Please Note: This audiobook is in Hindi.

©2024 पूनम अहमद (P)2024 BuCAudio
Short Stories
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