The Story of My Experiments with Truth Book by Mahatma Gandhi

By: 𝕽𝖆𝖍𝖚𝖑 𝕵𝖆𝖓𝖌𝖎𝖉 '𝕽𝖆𝖍𝖍'
  • Summary

  • The Story of My Experiments with Truth is the autobiography of Mahatma Gandhi, covering his life from early childhood through to 1921. It was written in weekly installments and published in his journal Navjivan from 1925 to 1929. Its English translation also appeared in installments in his other journal Young India. . . सत्य के साथ मेरे प्रयोगों की कहानी महात्मा गांधी की आत्मकथा है, जो उनके बचपन से लेकर 1921 तक के जीवन को कवर करती है। यह साप्ताहिक किश्तों में लिखी गई थी और उनकी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। Buy now 🛒 Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH
    𝕽𝖆𝖍𝖚𝖑 𝕵𝖆𝖓𝖌𝖎𝖉 '𝕽𝖆𝖍𝖍'
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Episodes
  • Episode - 16 Playing the English Gentleman
    Jan 14 2025


    Season : 01 Episode : 16 " Playing the English Gentleman " ( एक अंग्रेज सज्जन पुरुष की भूमिका ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Gandhi recounts his efforts to adopt the lifestyle of an English gentleman during his early days in England. Feeling the pressure to fit into British society, he begins experimenting with English customs, attire, and manners. He meticulously learns how to tie a tie, wears a top hat, and even takes lessons in dancing, French, and elocution. However, despite these attempts to blend in, Gandhi soon realizes that outward appearances do not define one’s character or worth. This chapter marks a turning point in Gandhi’s self-awareness. He discovers that genuine respect is not earned by imitating others but through inner integrity and personal development. His brief fascination with English culture underscores the internal conflict of identity he faced as an Indian in a foreign land. Ultimately, "Playing the English Gentleman" highlights Gandhi’s growing realization that true dignity comes from self-respect and authenticity rather than superficial conformity. It offers readers a glimpse into his formative years and the lessons that shaped his later philosophy of simplicity and self-reliance. . . . . इस अध्याय में, गांधी अपने शुरुआती इंग्लैंड प्रवास के दौरान अंग्रेज़ी जेंटलमैन की जीवनशैली अपनाने के अपने प्रयासों का वर्णन करते हैं। ब्रिटिश समाज में घुलने-मिलने के दबाव को महसूस करते हुए, वे अंग्रेज़ी रीति-रिवाजों, पहनावे और तौर-तरीकों को अपनाने की कोशिश करते हैं। वे टाई बांधने का अभ्यास करते हैं, ऊँची टोपी पहनते हैं और नृत्य, फ्रेंच भाषा और भाषण कला के पाठ लेते हैं। हालाँकि, इन सभी प्रयासों के बावजूद, गांधी को जल्दी ही एहसास हो जाता है कि बाहरी दिखावा व्यक्ति के चरित्र या मूल्य को परिभाषित नहीं करता। यह अध्याय गांधी की आत्मचेतना में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। वे समझते हैं कि सच्चा सम्मान दूसरों की नकल करके नहीं, बल्कि अपनी आंतरिक ईमानदारी और आत्म-विकास से अर्जित होता है। अंग्रेजी संस्कृति के प्रति उनका यह अल्पकालिक आकर्षण इंग्लैंड में एक भारतीय के रूप में उनकी पहचान के संघर्ष को दर्शाता है। अंततः "प्लेयिंग द इंग्लिश जेंटलमैन" यह दर्शाता है कि वास्तविक गरिमा बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और प्रामाणिकता में निहित है। यह अध्याय पाठकों को गांधी के प्रारंभिक जीवन की एक झलक प्रदान करता है और उन शिक्षाओं को उजागर करता है, जिन्होंने आगे चलकर उनकी सरलता और आत्मनिर्भरता की नीति को आकार दिया। . . . . . Buy Now 🛒

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    13 mins
  • Episode - 15 My Choice
    Jan 9 2025


    Season : 01 Episode : 15 " My Choice " ( मेरा चुनाव ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Gandhi reflects on the choices he made during his early years, particularly the conflict between worldly ambitions and his pursuit of truth and self-discipline. He recounts incidents where he was torn between his duties toward his family and his commitment to personal vows, such as vegetarianism and the avoidance of indulgent pleasures. Gandhi emphasizes how every choice he made was a step toward self-purification and an experiment in living a principled life. He also illustrates how difficult yet crucial it was for him to choose simplicity over material comfort, highlighting the moral dilemmas that shaped his character. This chapter serves as a key turning point in Gandhi's journey toward becoming a seeker of truth and a firm believer in ethical living. His reflections underscore the importance of making deliberate, conscious choices in the quest for self-improvement. . . . . इस अध्याय में, गांधी अपने प्रारंभिक जीवन में किए गए चुनावों पर विचार करते हैं, विशेष रूप से सांसारिक महत्वाकांक्षाओं और सत्य एवं आत्म-अनुशासन की खोज के बीच के संघर्ष पर। वे कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करते हैं, जहाँ वे परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों और व्यक्तिगत व्रतों जैसे शाकाहार अपनाने तथा भोग-विलास से बचने के बीच उलझन में पड़ जाते हैं। गांधी बताते हैं कि कैसे प्रत्येक निर्णय आत्म-शुद्धि की दिशा में एक कदम था और एक सिद्धांत-आधारित जीवन जीने का प्रयोग था। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि भौतिक सुख-सुविधाओं के स्थान पर सरलता को चुनना उनके लिए कितना कठिन लेकिन महत्वपूर्ण था। यह अध्याय गांधी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, जहाँ वे सत्य की खोज में पूरी तरह से समर्पित होते हैं और नैतिक जीवन के प्रति दृढ़ विश्वास रखते हैं। उनके विचार यह दिखाते हैं कि आत्म-सुधार की प्रक्रिया में सोच-समझकर किए गए निर्णय कितने आवश्यक होते हैं। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    5 mins
  • Episode - 14 In London at Last
    Jan 6 2025


    Season : 01 Episode : 14 " In London at Last " ( आखिरकार लंदन में ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Mahatma Gandhi's experiences after arriving in London are presented. It describes the initial difficulties Gandhi faced after moving to London to study law, including his struggle with the unfamiliar culture, food, clothing, and lifestyle. Determined to become an English gentleman, Gandhi made efforts to wear fashionable clothes and learn Western manners. However, he soon realized that imitating British customs had no real value, and he shifted his focus to his studies while adopting a simple lifestyle. This chapter also reflects Gandhi's early experiments with vegetarianism, which he adopted firmly despite social pressures. It marks a crucial phase in his journey of self-exploration, laying the foundation for his future principles of simplicity, truth, and discipline. Would you like a more detailed analysis or a brief summary of the key events from this chapter? . . . . इस अध्याय में, महात्मा गांधी के लंदन पहुंचने के बाद के अनुभवों को प्रस्तुत किया गया है। इस अध्याय में गांधीजी के कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के बाद की प्रारंभिक कठिनाइयों का वर्णन है, जिसमें वहां की अजनबी संस्कृति, भोजन, पहनावे और जीवनशैली के प्रति उनका संघर्ष शामिल है। एक अंग्रेज़ सज्जन बनने के संकल्प के साथ, गांधीजी ने फैशनेबल कपड़े पहनने और पश्चिमी शिष्टाचार सीखने का प्रयास किया। हालांकि, जल्द ही उन्हें यह अहसास हो गया कि अंग्रेजी रीति-रिवाजों की नकल करने का कोई वास्तविक लाभ नहीं है, और उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक साधारण जीवनशैली अपनाई। यह अध्याय गांधीजी के शाकाहार के प्रति आरंभिक प्रयोगों को भी दर्शाता है, जिसे उन्होंने सामाजिक दबावों के बावजूद दृढ़ता से अपनाया। यह उनके आत्म-अन्वेषण की एक महत्वपूर्ण अवस्था थी, जिसने भविष्य में उनके सादगी, सत्यनिष्ठा और अनुशासन के सिद्धांतों की नींव रखी। क्या आप इस अध्याय का और विस्तार से विश्लेषण या मुख्य घटनाओं का संक्षिप्त विवरण चाहते हैं? . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    10 mins

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